भारतीय जीवन मूल्यो के अनुरूप भैया - बहिनों में राष्ट्रीय चरित्र , अनुशासित जीवन पद्धति, शैक्षणिक गुणवत्ता , शारीरिक व बौद्धिक क्षमता विकास, सेवा समरसता व राष्ट्र भक्ति के उद्देश्यों के साथ राष्ट्र के सर्वांगीण विकास हेतु कृत संकल्पित है ' सरस्वती शिशु मंदिर योजना ' |
विद्या भारती अ . भा . शिक्षा संस्थान नई दिल्ली एवं सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान म.प्र. भोपाल के मार्गदर्शन में सन् १९८७ को सरस्वती शिशु/विद्या मंदिर राजगढ़ की स्थापना हुई |आज इस संस्थान ने संस्कार युक्त व संस्कृति प्रेरित शिक्षा प्रदान करते हुए गौरवमयी व प्रतिष्ठा पूर्ण स्थान प्राप्त किया है |
यह संस्थान स्वयं के भव्य , सुसज्जित सर्वसुविधायुक्त भवन में आधुनिक संसाधनो से परिपूर्ण है | विद्यालय म. प्र. शासन शिक्षा विभाग व माध्यमिक शिक्षा मंडल म . प्र . भोपाल से मान्यता प्राप्त है | विद्यालय का वातावरण , साज - सज्जा , व्यवस्थाएँ , क्रियाकलाप व शैक्षिक वातावण भारतीय संस्कृति , संस्कार व परम्पराओ के अनुरूप नियोजित किया गया है |
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात देश में आज भी गौरवशून्य , विवेकरहित व निराशाजनक शिक्षा प्रणाली प्रचलित है | भावी भारत के नौनिहालों को संस्कार व अनुशासन प्रेरित , भारतीय संस्कृति संस्कार , परंपरा व जीवन मूल्यों को अपने में समाहित करती , जन - जन के मन में राष्ट्र सेवा का संकल्प जगाने वाली शिक्षा पद्धति की आवश्यकता है |
सरस्वती विद्या मंदिर इन्हीं विचारों , भावनाओं व क्रियाओं का प्रत्यक्ष दर्शन है , जहाँ कल्पनाएँ आकार लेती है , सपने साकार होते है एवं सुनहरे भविष्य के प्रत्यक्ष दर्शन होते है | विद्यालय के प्रत्येक क्रियाकलाप में समाहित है - बालक का सर्वांगीण विकास , अर्थात - मन , बुद्धि , आत्मा का विकास |
शिक्षा यज्ञ के इस पावन कार्य में हम सब का समान योगदान आवश्यक है | सरस्वती शिशु मंदिर की प्रगति - पथ का प्रत्येक चरण अपने आप में गौरव गाथा से भरा है | आइये सब पढे सब बढ़े नित नवीन उपलब्धियां प्राप्त करते हुए राष्ट्र सेवा का संकल्प धारण करें |
|| तेजस्विनावधीतमस्तु ||
प्राचार्य
श्री अरविन्द दुबे
सरस्वती शिशु/विद्या मंदिर
राजगढ़ मध्यप्रदेश
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ReplyDeleteसरस्वती विद्या मंदिर,जहां पर एक ऐसा परिवेश और मंच प्रदान किया जाता है। जिसमें विधार्थी को भारतीय समाज का बारीकी से अध्ययन कराया जाता है एवं साथ ही नेतृत्व की क्षमता का भी भरपूर विकास किया जाता है। ( में सरस्वती विद्या मन्दिर परिवार का हमेशा आभारी रहूंगा।)
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